आज भी याद है मुझे वह दिन, शायद 15 जनवरी की बात होगी, एक फ्रैंड रिक्वैस्ट आई थी, कुछ म्यूच्युअल फ्रैंड भी थे

इसलिए मैं ने स्वीकार कर ली. रिक्वैस्ट होते ही, उधर से मैसेज आरंभ हो गए, मैं ने भी जवाब देने आरंभ कर दिए. मैसेज आया, ‘‘तुम बहुत खूबसूरत हो.’’

मैं ने फिर लिखा, ‘‘हा… हा… हा… पर इस हा… हा… में अंदर का दर्द, आंखों में आंसू बन कर आ गया,’’ उस ने नंबर मांगा.

मैं ने लिखा, ‘‘इतनी जल्दी? अभी तो मैं तुम को जानती भी नहीं… बस यह जानती हूं कि हम एक ही स्कूल में पढ़े थे.’’

मैसेज आया, ‘‘तभी तो मांग रहा हूं, जानने के लिए पर खूबसूरत लड़कियों के नखरे होते हैं, कोई बात नहीं रहने दो.’’

मैं ने मन में सोचा कि कोई किशोरी तो नहीं हूं और न ही यह मेरा कोई आशिक, 2 सभ्य लोग क्यों नहीं नंबर ऐक्सचेंज कर सकते हैं?

न जाने बातों में क्या कशिश थी कि मैं ने सहर्ष नंबर दे दिया. 1 मिनट में ही मेरे मोबाइल की स्क्रीन पर नंबर फ्लैश हो रहा था. कुछ सोचते हुए मैं ने फोन उठा लिया. उधर से एक बहुत बेलौस हंसी सुनाई दे रही थी एक ऐसी हंसी जिस के लिए मैं तरस रही थी.

वह बोला, ‘‘बस इसलिए फोन किया कि कोई गुंडा नहीं हूं, एक सीधासादा इंसान हूं और तुम सच में बहुत खूबसूरत हो.’

मैं थोड़ा सा शरमा गई पर मन ही मन खुश भी हो रही थी. बस ‘‘थैंक यू’’ बोल पाई थी और फोन काट दिया. फिर कुछ देर बाद व्हाट्सऐप पर उस का मैसेज था, ‘‘थैंक्स फौर टौकिंग ऐंड ब्यूटीफुल पिक्चर औफ मम्मी ऐंड डाटी

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