श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग के अंत में हुआ था। भगवान श्री कृष्ण का इस पृथ्वी लोक पर जन्म लेने का उद्देश्य यह था कि समस्त पृथ्वी लोक से अधर्म का नाश करके पुनः धर्म की स्थापना। भगवान श्री कृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता हैऔर यह हम सभी जानते हैं कि सृष्टि के पालन करता भगवान विष्णु ही है लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा कि सृष्टि के पालन करता भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई अगर आपको इस सवाल का जवाब नहीं मालूम है तो आज किस पोस्ट में हम जानेंगे श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु से जुड़े रहस्य के बारे में तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर भगवान होते हुए भी श्रीकृष्ण की मृत्यु कैसे हुई
कहते हैं कि भगवान कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व में हुआ था। वैसे तो श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, लेकिन उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना और द्वारिका आदि जगहों पर बीता।कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने 36 वर्षों तक द्वारिका पर राज किया। इसके बाद उन्होंने अपना देह त्याग दिया यानी कि उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि उस समय उनकी आयु 125 वर्ष थी।
महाभारत के युद्ध के बाद जब दुर्याोधन का अंत हो गया, तो उसकी माता गांधारी बहुत दुखी हो गई थीं। वह अपने बेटे के शव पर शोक व्यक्त करने के लिए रणभूमि में गई थीं और उनके साथ भगवान कृष्ण और पांडव भी गए थे।गांधारी अपने पुत्रों की मृत्यु से इतनी दुखी हुईं कि उन्होंने भगवान कृष्ण को 36 वर्षों के बाद मृत्यु का शाप दे दिया। ये सुनकर पांडव तो चकित रह गए,
लेकिन भगवान कृष्ण तनिक भी विचलित न हुए और मुस्कुराते हुए अपने ऊपर लगे अभिशाप को स्वीकार कर लिया और ठीक इसके 36 वर्षों के बाद उनका मृत्यु एक शिकारी के हाथों हो गई।
भागवत पुराण के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को एक शरारत सूझी। वो एक स्त्री का वेश धारण कर अपने दोस्तों के साथ ऋषि-मुनियों से मिलने गए। स्त्री के वेश में सांब ने ऋषियों से कहा कि वो गर्भवती है।
जब उन यदुवंश कुमारों ने इस प्रकार ऋषियों को धोखा देना चाहा तो वो क्रोधित हो गए और उन्होंने स्त्री बने सांब को शाप दिया कि तुम एक ऐसे लोहे के तीर को जन्म दोगी, जो तुम्हारे कुल और साम्राज्य का विनाश कर देगा।
ऋषियों का शाप सुनकर सांब बहुत डर गए। उन्होंने तुरंत ये सारी घटना जाकर उग्रसेन को बताई, जिसके बाद उग्रसेन ने सांब से कहा कि वे तीर का चूर्ण बनाकर प्रभास नदी में प्रवाहित कर दें, इस तरह उन्हें उस शाप से छुटकारा मिल जाएगा।
सांबा ने सब कुछ उग्रसेन के कहे अनुसार ही किया। साथ ही उग्रसेन ने ये भी आदेश पारित कर दिया कि यादव राज्य में किसी भी प्रकार की नशीली सामग्रियों का ना तो उत्पादन किया जाएगा और ना ही वितरण होगा।
कहा जाता है कि इस घटना के बाद द्वारका के लोगों ने कई अशुभ संकेतों का अनुभव किया, जिसमें सुदर्शन चक्र, श्रीकृष्ण का शंख, उनका रथ और बलराम के हल का अदृश्य हो जाना शामिल है। इसके अलावा वहां अपराधों और पापों में बढ़ोतरी होने लगी।
द्वारिका में चारों ओर अपराध और पाप का माहौल व्याप्त हो गया। ये देखकर श्रीकृष्ण बहुत दुखी हो गए और उन्होंने अपनी प्रजा से ये जगह छोड़कर प्रभास नदी के तट पर जाकर अपने पापों से मुक्ति पाने को कहा।
इसके बाद सबलोग उनकी बात मानकर प्रभास नदी के तट पर गए, लेकिन वहां जाकर सभी मदिरा के नशे में चूर हो गए और एक दूसरे से बहस करने लगे।इसके बाद उनकी बहस ने लड़ाई का रूप धारण कर लिया और वो आपस में ही लड़ने-मरने लगे। इस तरह आपस में ही लड़कर सभी लोग मारे गए।
श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई
कहते हैं कि इस घटना के कुछ दिनों बाद ही बलराम की भी मृत्यु हो गई। भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण एक दिन एक पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे,
तभी जरा नामक एक बहेलिए ने श्रीकृष्ण को हिरण समझकर दूर से उनपर तीर चला लिया,इसके बाद शिकारी श्रीकृष्ण के पास पहुंचा और अपनी गलती के लिए उनसे क्षमा मांगने लगा. तब श्रीकृष्ण ने उसे सांत्वना दी और बताया कि कैसे उनकी मृत्यु निश्चित थी. श्रीकृष्ण ने कहा, ‘त्रेता युग में लोग मुझे राम के नाम से जानते थे. राम ने सुग्रीव के बड़े भाई बाली का छिपकर वध किया था. अपने पिछले जन्म की सजा उन्हें इस जन्म में मिली है. दरअसल जरा ही पिछले जन्म में बाली था.’ यह कहकर श्रीकृष्ण ने अपना शरीर त्याग दिया. श्रीकृष्ण की मृत्यु को ही कलियुग की शुरुआत माना जाता है.
आपको बता दें कि ऋषि द्वारा कृष्ण के पुत्र सांब को दिए शाप के अनुसार,
श्रीकृष्ण को लगे तीर में उसी लोहे के तीर का अंश था, जो सांब के पेट से निकला था और जिसे उग्रसेन ने चूर्ण बनवाकर नदी में प्रवाहित करा दिया था।
इस तरह ऋषि के शाप के अनुसार समस्त यदुवंशियों का नाश भी हो गया था और गांधारी के शाप के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण के 36 वर्ष भी पूरे गए थे।
सोमनाथ के पास स्थित है भालका तीर्
श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई
कहते हैं कि श्रीकृष्ण को जहां तीर लगा था, वो जगह गुजरात में सोमनाथ के पास स्थित है। इसे भालका तीर्थ के नाम से जाना जाता है। यहां हजारों साल पुराना पीपल का पेड़ भी स्थित है, जिसके नीचे लेटे हुए श्रीकृष्ण को तीर लगा था।
पेड़ के यहां एक मंदिर बना हुआ है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक श्रीकृष्ण ईसा पूर्व 3102 में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर गोलोकधाम या बैकुंठ धाम गए थे। इस पोस्ट मे हमने श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई के बारे मे विस्तार से बताने का प्रयास किया है अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई हो तो इस पोस्ट को like करे और अधिक जानकारी के लिए आप इस site को visit करते रहे हम आपको ऐसी ही जानकारी देने का प्रयास करते रहेंगे.
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प्रश्न : भगवान श्री कृष्ण धरती पर कितने साल रहे?
Ans-125
प्रश्न : श्री कृष्ण का वध किसने किया था ?
श्री कृष्ण का वध जरा ने किया था।
जरा कोंन था?
जरा एक शिकारी था।