शरद पूर्णिमा रहस्य 2023 महत्व, कथा, पूजा विधि कविता Sharad Purnima mahatva in Hindi

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शरद पूर्णिमा रहस्य 2023 महत्व, कथा, पूजा विधि कविता Sharad Purnima mahatva in Hindi

Sharad Purnima 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है शरद पूर्णिमा का हिंदु धर्म मे विशेष महत्व है माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से  अमृत की वर्षा होती है शरद पूर्णिमा को , कोजागरी पूर्णिमा , रास पूर्णिमा , कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के अति निकट होता है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती हैं,  शरद पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है। ऐसे में चलिए जानते हैं शरद पूर्णिमा का महत्व, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे रखें?

शरद पूर्णिमा का क्या रहस्य है?

भगवान श्रीकृष्ण और राधा की अदभुत और दिव्य रासलीलाओं का आरम्भ भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ। पूर्णिमा की श्वेत उज्जवल चांदनी में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी नौ लाख गोपिकाओं के साथ स्वंय के ही नौ लाख अलग-अलग गोपों के रूप में आकर ब्रज में महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और वह अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है।
शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। नारद पुराण के अनुसार शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए निशीथ काल में पृथ्वी पर भ्रमण करती  है और माता यह भी देखती है- कि कौन जाग रहा है?

शरद पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima 2023 Shubh Muhurat)

उदयातिथि के अनुसार, शरद पूर्णिमा इस बार 28 अक्टूबर को ही है. पूर्णिमा तिथि इस बार 28 अक्टूबर, शनिवार को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 29 अक्टूबर, रविवार को दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर होगा

शरद पूर्णिमा पूजन

/व्रत विधि (Sharad Purnima Pujan/vrat Vidhi)

  • इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व होता हैं.
  • इस दिन सुबह जल्दी नहाकर नए वस्त्र धारण किये जाते हैं.
  • पुरे दिन का उपवास किया जाता हैं.
  • संध्या के समय लक्ष्मी जी की पूजा की जाती हैं.
  • इसके बाद चन्द्रमा के दर्शन कर उसकी पूजा करते हैं, फिर उपवास खोलते हैं.
  • रतजगा किया जाता हैं. भजन एवम गीत गायें जाते हैं. रात्रि बारह बजे बाद खीर का प्रसाद वितरित किया जाता हैं.

शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है’

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2023) को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कई जगह इसे कोजागरी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से दौरान प्रकट हुईं थीं। ऐसे में इस दिन विधिवत उनकी पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-वैभव की प्राप्ति होती है।

शरद पूर्णिमा का महत्व (Sharad Purnima Significance)

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार चन्द्रमा को औषधि का देवता माना जाता है। इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत की वर्षा करता है। इसी कारण शरद पूर्णिमा की रात को  चावल और दूध से बनी खीर को चांदनी रात में रख दिया जाता है जिसमें रात भर खीर मे अमृत की वर्षा होती है शुबहा इस खीर का  सेवन किया जाता है। इससे रोग खत्म हो जाते हैं और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व

एक अन्य वैज्ञानिक शोध के अनुसार इस दिन दूध से बने उत्पाद का चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा का स्नान करना चाहिए। इस दिन बनने वाला वातावरण दमा के रोगियों के लिए विशेषकर लाभकारी माना गया है।

शरद पूर्णिमा खीर का वैज्ञानिक महत्व

दूध में में लैक्टिक एसिड होता है और जब चांद की  रोशनी दूध की खीर पर पड़ती है जो दूध मे  मौजूद बैक्टिरिया को बढ़ाने में सहायक होती है.   साथ ही खीर के  चावलों में पाए जाने वाले स्टार्च इसमें मदद करते हैं. और जब खीर को चांदी के बर्तन मे रखा जाता है तो चांदी के बर्तन में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. दमा के रोगियों के लिए खीर अधिक फायदेमंद होती है

शरद पूर्णिमा व्रत कथा(Sharad Purnima Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार की दो बेटियां थीं। पूर्णिमा को दोनों व्रत करती थीं। बड़ी बेटी तो व्रत पूरा कर लेती थी, लेकिन छोटी बेटी व्रत को बीच में ही तोड़ देती थी। इस वजह से सबसे छोटी बेटी को संतान प्राप्ति में दिक्कत होती थी। छोटी बेटी के बच्चे पैदा होते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते थे। जब सबसे छोटी बेटी ने पंडितों से पूछा कि ऐसा क्यों है, तो उन्होंने उसे बताया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि तुमने व्रत अधूरा छोड़ दिया था। साथ ही जब उनसे इसका उपाय पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यदि तुम पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि-विधान से करोगी तो तुम्हें अवश्य ही संतान की प्राप्ति होगी।
उन्होंने पंडितों की सलाह मानते हुए पूरे विधि-विधान से पूर्णिमा संपन्न की। इसके फलस्वरूप उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। लेकिन कुछ ही देर बाद उसकी भी मृत्यु हो गई। छोटी बेटी ने अपने बच्चे के शरीर को एक पाटे  पर रखा और उसे कपड़े से ढक दिया। फिर उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाया और उसे उसी बिस्तर पर बैठाने लगी। जब बड़ी बहन उसके ऊपर बैठने लगी तो उसका लहंगा बच्चे को छू गया और वह जीवित होकर रोने लगा।
यह देखकर उसकी बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझ पर कलंक लगाना चाहती थी, अगर मैं वहां बैठी, तो यह मर जाता। इस पर छोटी बहन ने जवाब दिया कि यह बच्चा तो पहले ही मर चुका था, लेकिन तुम्हारे भाग्य से यह फिर से जीवित हो गया। उसके बाद दोनों बहनों ने गांव के सभी लोगों को शरद पूर्णिमा व्रत की महिमा और विधि के बारे में बताया।

शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा कैसे करें?

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रदेव अपनी 16 कलाओं से पूर्ण प्रकाश को धरती पर डालते हैं। इस दिन चाँद की पूजा करनी चाहिए इसके लिए  रात को 11 से 1 बजे के बीच खुले आसमान के नीचे कुश के आसान पर उत्तर की ओर मुखकर बैठ जाएं। और  चंद्रदेव को धूप-दीप और पुष्प अर्पित कर प्रणाम करें। फिर सफेद वस्त्र पहनकर चन्द्रमा का ध्यान करें और इसके बाद तुलसी या कमल गट्टे की माला से मंत्र का जाप करें। जप पूरा होने के बाद चांदी के किसी बर्तन में शुद्ध जल या देशी गाय के दूध से चंद्रदेव को अर्घ्य दें और “ऊं चंद्राय नमः” का जाप करें।

शरद पूर्णिमा पर कविता

बरखा रानी नाच-नाच कर,
सुख दुःख दोनों बाँट रही है।
शरद ऋतु की आहट को सुन,
बिरहन दिन गिन काट रही है।

ओढ़ के चादर कोहरे की
सूरज घर से निकला था
कर फैला कर थोड़ी धूप
देने की, दिन भर कोशिश करता रहा

चाँद ख़ुद को देख कर शरमाएगा
बादलों की ओट में छुप जाएगा

कल चौदवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा

पूछना चाँद का पता ‘आज़र’
जब अकेले में रात मिल जाए