रेबीज़: जानिए खतरनाक बीमारी है जानिए इसके लक्षण और इलाज और इससे कैसे बचा जा सकता है?

रेबीज़: जानिए खतरनाक बीमारी है जानिए इसके लक्षण और इलाज और इससे कैसे बचा जा सकता है?

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रेबीज एक खतरनाक बीमारी है जो संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से फैलती है। रेबीज वायरस संक्रमित जानवर के लार के माध्यम से फैलता है। जब कोई संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या इंसान को काटता या खरोंचता है, तो वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है। रेबीज वायरस आमतौर पर जानवरों के मुंह, आंखों, और नाक से निकलता है।

रेबीज: एक खतरनाक लेकिन रोकथाम योग्य बीमारी है

रेबीज एक खतरनाक वायरल बीमारी है जो संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से फैलती है। यह बीमारी जानवरों और इंसानों दोनों को प्रभावित कर सकती है। रेबीज से बचाव के लिए टीकाकरण एकमात्र तरीका है।

रेबीज कैसे फैलता है?

रेबीज वायरस संक्रमित जानवर के लार के माध्यम से फैलता है। जब कोई संक्रमित जानवर इंसान को काटता या खरोंचता है, तो वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है। रेबीज वायरस आमतौर पर जानवरों के मुंह, आंखों, और नाक से निकलता है।

रेबीज के लक्षण क्या हैं?

रेबीज के लक्षण आमतौर पर काटने के बाद 2-8 सप्ताह के भीतर दिखाई देते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, लक्षण एक साल से भी अधिक समय बाद दिखाई दे सकते हैं।

रेबीज के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:

बुखार
सिरदर्द
थकान
मांसपेशियों में दर्द
भूख में कमी
बाद के लक्षणों में शामिल हैं:

बेचैनी
चिड़चिड़ापन
भ्रम
भय
जलन
पानी से डर
अंत में, रेबीज का दौरा पड़ता है और मृत्यु हो जाती है।

रेबीज का इलाज कैसे होता है?

रेबीज का कोई इलाज नहीं है। अगर किसी को रेबीज हो जाता है, तो मौत निश्चित है। हालांकि, अगर किसी को काटने या खरोंचने के बाद जल्दी से इलाज मिल जाए, तो बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है।

काटने या खरोंच के बाद, प्रभावित क्षेत्र को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके बाद, डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर रेबीज प्रोफिलैक्सिस की सिफारिश करेंगे, जो टीका और एंटी-रेबीज सीरम का संयोजन है।

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रेबीज से बचाव कैसे करें?

रेबीज से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपने पालतू जानवरों को नियमित रूप से टीका लगवाएं। पालतू जानवरों को 6-8 सप्ताह की उम्र में पहला टीका लगवाया जाता है, और फिर हर 1-3 साल में इसे दोहराया जाता है।

पालतू जानवरों के अलावा, अन्य जानवरों को भी रेबीज से बचाव के लिए टीका लगाया जाना चाहिए। इसमें पक्षी, खरगोश, और अन्य छोटे जानवर शामिल हैं।

रेबीज से बचाव के लिए कुछ सुझाव:

अपने पालतू जानवरों को नियमित रूप से टीका लगवाएं।
अपने पालतू जानवरों को घर के अंदर रखें।
जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें।
अगर आपको कोई जानवर काट या खरोंचता है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
रेबीज के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

रेबीज एक जानलेवा बीमारी है।
रेबीज से बचाव का सबसे अच्छा तरीका टीकाकरण है।
अगर आपको कोई जानवर काट या खरोंचता है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से होती है। रेबीज वायरस संक्रमित जानवर के लार के माध्यम से फैलता है। जब कोई संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या इंसान को काटता या खरोंचता है, तो वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है। रेबीज वायरस आमतौर पर जानवरों के मुंह, आंखों, और नाक से निकलता है।

कुत्ते रेबीज के सबसे आम वाहक हैं, लेकिन अन्य जानवर भी इस बीमारी को फैला सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

चमगादड़

लोमड़ी

भेड़िये

सियार

स्तनधारी

खरगोश

बंदर

लोरिस

रेबीज से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपने पालतू जानवरों को नियमित रूप से टीका लगवाएं। पालतू जानवरों को 6-8 सप्ताह की उम्र में पहला टीका लगवाया जाता है, और फिर हर 1-3 साल में इसे दोहराया जाता है।

पालतू जानवरों के अलावा, अन्य जानवरों को भी रेबीज से बचाव के लिए टीका लगाया जाना चाहिए। इसमें पक्षी, खरगोश, और अन्य छोटे जानवर शामिल हैं।

अगर आपको कोई जानवर काट या खरोंचता है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर रेबीज प्रोफिलैक्सिस की सिफारिश करेंगे, जो टीका और एंटी-रेबीज सीरम का संयोजन है।

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