(what is pfi,PFI Connection kya hai, pfi vision 2047,pfi news, pfi funding, what is pfi in india, pfi vs rss,pfi kerala,pfi banned in which स्टेट.)क्या है पीएफआई [पीएफआई फुलफार्म, पीएफआई की छापेमारी, पीएफआई संगठन, पीएफआई का इतिहास,पीएफआई की फंडिंग,पीएफआई केरल, पीएफआई महाराष्ट्र, पीएफआई कर्नाटक, पीएफआई आंध्र प्रदेश, पीएफआई असम, पीएफआई दिल्ली, पीएफआई मध्य प्रदेश, पीएफआई पुडुचेरी, पीएफआई तमिलनाडू, पीएफआई उत्तर प्रदेश, पीएफआई राजस्थान, पीएफआई का ऑफिस, मिशन 2047, पीएफआई का लीडर,पीएफआई चरण,
एनआईए ने अबतक की सबसे बड़ी रेड की है। लगभग एक दर्जन राज्यों में एजेंसी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI के संदिग्ध ठिकानों पर छापे( Raid on PFI Office) मारे। इसमें पीएफआई के 106 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। ये छापेमारी केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में हुई।
PFI क्या है? इसकी फुलफॉर्म [PFI Full Form]
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों यह संगठन सक्रिय है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं।
पीएफआई का लीडर कौन है [Leader of PFI]
पीएफआई के लीडर का नाम है अबूबकर सिद्दीक। जिसका नाम आरएसएस नेता श्रीनिवास की हत्या के मामले से जोड़ा गया है। पुलिस का कहना है कि, श्रीनिवास की हत्या में पीएफआई का हाथ है।
PFI पर किन राज्यों में छापेमारी की गई है?
NIA और ED ने 13 राज्यों में छापे मारे हैं। इनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। NIA और ED ने मलप्पुरम जिले के मंजेरी में पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष OMA सलाम के अलावा PFI के दिल्ली हेड परवेज अहमद के घर पर छापेमारी की। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। NIA की छापेमारी के खिलाफ PFI और SDPI के कार्यकर्ता अलग-अलग जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि इन्हें हिरासत में ले लिया गया है।
PFI संगठन पर क्या आरोप हैं?
PFI एक कट्टरपंथी संगठन है। 2017 में NIA ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। NIA जांच में इस संगठन के कथित रूप से हिंसक और आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के बात आई थी। NIA के डोजियर के मुताबिक यह संगठन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह संगठन मुस्लिमों पर धार्मिक कट्टरता थोपने और जबरन धर्मांतरण कराने का काम करता है।
PFI और इसका इतिहास क्या है
साल 2006 में भारत के दक्षिणी राज्य केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की नींव रखी गई. नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के रूप में इसका जन्म हुआ. फिर इसमें कई अन्य मुस्लिमों संगठनों जैसे मनीथा नीति पसराय, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, राष्ट्रीय विकास मोर्चा और अन्यों का इसमें विलय हो गया. जिसके बाद इसे पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नाम से पहचाना गया.
दरअसल बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद दक्षिण भारत के कई राज्यों में मुस्लिम संगठन उभकर आए. इनमें कई संगठनों को मिलाकर पीएफआई बना
Pfi Vision 2047:
बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ से पुलिस ने तीन संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ़्तार किया है. इन लोगों से पुलिस को कुछ दस्तावेज़ बरामद हुए हैं, जिनमें ये लिखा है कि साल 2047 तक भारत में इस्लामिक शासन होगा.
ये पूरा Document सात पन्नों का है और इसका शीर्षक है..India 2047, Towards Rule of Islam in India. जो बड़ी बात आपको समझनी है वो ये है कि भारत में एक बार फिर से 1947 को दोहराने की कोशिश हो रही है.
यानी ये ताकतें, 2047 तक भारत को 100 साल पीछे 1947 के उस दौर में ले जाना चाहती हैं, जब इस्लामिक कट्टरपंथ ने भारत को दो भागों में बांट दिया था.
2047 तक इस्लामिक शासन लाने की कोशिश
पहली बात, सात पन्नों का ये दस्तावेज़ इन बातों से भरा पड़ा है कि कैसे साल 2047 तक भारत में इस्लामिक शासन लाया जाएगा. इसके पहले और दूसरे पन्ने पर लिखा है कि एक समय भारत पर मुसलमानों का शासन होता था.
आज भी इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में रहते हैं. लेकिन इसके बावजूद भारत में मुसलमानों की स्थिति अच्छी नहीं है. ये बातें इन पन्नों पर लिखी हैं.
इसी में ये भी लिखा है कि आज देश के 9 जिलों में मुस्लिम आबादी 75 प्रतिशत से ज़्यादा है. इसलिए भारत में इस्लामिक शासन लाना मुश्किल नहीं है. इसके लिए साल 2047 का लक्ष्य रखा गया है
दूसरी बात, इसमें Popular Front of India का प्रमुखता से ज़िक्र किया गया है और पुलिस भी कह रही है कि ये तमाम दस्तावेज PFI द्वारा ही प्रकाशित किए गए हैं.
इसमें लिखा है कि भारत में इस्लामिक शासन लाने के लिए मुस्लिम समुदाय का बहुसंख्यक होना जरूरी नहीं है. अगर PFI संगठन के साथ भारत की आबादी के 10 प्रतिशत मुसलमान भी जुड़ गए
तो ये लोग डरपोक हिंदुओं को दोबारा घुटने पर लाकर इस्लाम कबूल करवा देंगे. सोचिए, ये बातें इस Document में लिखी हैं
Pfi मिशन को अंजाम देने के लिए 4 चरण बनाए
पहले चरण में भारत के मुसलमानों को बार बार याद दिलाया जाएगा कि इस देश में उनके साथ नाइंसाफी हो रही है.
इसी में ये भी लिखा है कि जिन इलाकों में मुसलमान खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं, वहां भी ये माहौल बनाया जाएगा कि वो खतरे में हैं और उनके साथ अन्याय हो रहा है. इसके अलावा पहले चरण में मुसलमानों को ये संदेश दिया जाएगा
कि वो भारतीय होने से पहले इस्लाम धर्म के रक्षक हैं. इस चरण में उन्हें तलवार और दूसरे हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
दूसरे चरण में सीमित हिंसा के जरिए शक्ति प्रदर्शन की बात कही गई है. ये लिखा है कि ऐसी हिंसा से दूसरे धर्म के लोगों में डर पैदा किया जाएगा. जब देश में सीमित हिंसा के जरिए एक खास धर्म के द्वारा शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा,
तब PFI संविधान, लोकतंत्र और डॉक्टर भाम राव अम्बेडकर के विचारों की बात करेगा, ताकि उसकी असली मंशा किसी के सामने ना आए. यानी शांति का डिजायनर माहौल बना कर देश में नफरती और साम्प्रदायिक आग भड़काई जाएगी.
तीसरे चरण में दलितों, आदिवासियों और पिछड़ी जातियों को गुमराह करके उनके साथ गठबन्धन किया जाएगा. ऐसा करने के पीछे मकसद होगा हिन्दू संगठनों और दलितों, आदिवासियों और पिछड़ी जातियों के बीच खाई पैदा करना.
कम से कम 10 प्रतिशत दलितों और आदिवासियों को मुसलमानों के साथ लाना. ताकि इस मुहिम का व्यापक असर हो.
चौथे यानी आखिरी चरण में PFI के लोग मुसलमानों और दलितों के प्रतिनिधि बन जाएंगे और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सत्ता को अपने नियंत्रण में ले लेंगे. जिसके बाद देश की सेना, पुलिस और न्यायपालिका में PFI के वफादार सदस्यों को नियुक्त किया जाएगा.
इसमें ये भी लिखा है कि जब PFI के पास पर्याप्त शक्ति आ जाएगी तो वो इस्लामिक सिद्धांतों के आधार पर भारत का नया संविधान लागू कर देंगे. यानी भारत को इस्लामिक राष्ट्र में बदल देंगे.
PFI का नाम इन दंगों में आ चुका है
PFI वही संगठन है, जिसका नाम दिल्ली में दंगे भड़काने, शाहीन बाग के आन्दोलन को फंडिंग करने, केरल में राजनीतिक हत्याओं की योजना बनाने और जबरन धर्म परिवर्तन के भी कई मामलों में सामने आ चुका है.
वर्ष 2014 में केरल हाई कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा जमा किए गए एक हलफनामे के अनुसार, PFI के कार्यकर्ता केरल में हुई 27 राजनीतिक हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार थे. इसी हलफनामे में केरल सरकार ने ये भी बताया था कि
PFI केरल में हुई 106 साम्प्रदायिक घटनाओं में किसी ना किसी रूप में शामिल था. पहले ये संगठन केवल दक्षिण भारत तक सीमित था. लेकिन पिछले कुछ समय में इसका विस्तार उत्तर भारत में भी हुआ है. अब ये संगठन दिल्ली में भी उतना ही मजबूत है, जितना केरल में है.
Pfi को फंडिंग कोन करता है
पिछले ही महीने ED ने PFI से संबंधित 22 Bank Accounts को Freeze कर दिया था. ED के अनुसार, PFI से संबंधित इन Bank Accounts में 60 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा हुई थी, जिसमें से 30 करोड़ रुपये कैश के रूप में जमा हुए थे. यानी इस संगठन का जो बैंक बैलेंस है, वो एक बड़ी कम्पनी के जैसा है. हालांकि इस मामले में PFI द्वारा कहा गया है कि इस Document से उसका कोई लेना देना नहीं है. जबकि पुलिस इसके पीछे PFI को ही बता रही है