Lohri 2024 :दोस्तों क्या आपने आज से पहले कभी लोहड़ी माता की कथा कहीं पर सुनी है? क्या आप जानते है लोहड़ी क्यों मनाई जाती है लोहड़ी जिसे उत्तर भारत में काफी धूम धाम से मनाया जाता है। लोहड़ी का त्यौहार पंजाबियों के द्वारा मनाया जाता है। हालांकि बहुत से हिन्दू लोग भी इस पर्व को मनाते है
इसलिए आज हमने सोचा क्यों ना आप लोगों को लोहड़ी माता की कथा के बारे में बेहद ही रोचक जानकारी प्रदान कि जाए। जिससे की आपको भी लोहड़ी माता की कहानी के बारे में पता चल सके. तो फिर चलिए देर ना करते हुए शुरू करते हैं।
लोहड़ी क्या है – What is Lohri in Hindi
जैसा कि भारत में बहुत से त्यौहार मनाये जाते हैं उन्ही में से एक त्यौहार है लोहड़ी जिसे हर वर्ष मकर संक्रांति के पहले 12 या 13 जनवरी को मनाया जाता है। ये त्यौहार उत्तर भारत का प्रसिद्ध त्यौहार है।
लोहड़ी माता सती की याद में मनाई जाती है लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य सभी के साथ घुल मिलकर शीत ऋतु की सबसे बड़ी रात को सबके साथ मिलकर जश्न मनाना है।
लोहड़ी पर्व मनाने के पीछे बहुत सी मान्यताएं है। लोहड़ी पर्व के पीछे जो सबसे प्रमुख मान्यता है वो ये है कि लोहड़ी की आग दक्ष प्रजापति की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है। एक दूसरी मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण जी ने इस दिन लोहित नाम की राक्षसी का वध किया था।
सिंधी समाज में मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी पर्व लाहलोही के रूप में मनाते हैं। लोहड़ी पर्व को दुल्ला भट्टी की भी एक कहानी से जोड़ा जाता है। पंजाब में पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और कटाई से संबंधित एक प्रमुख त्यौहार है और इस दिन फसलों की भी पूजा की जाती है।
त्यौहार | लोहड़ी |
अन्य नाम | लाल लोई |
अनुयायी | उत्तर भारत के लोग: पंजाब, जम्मू, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश द्वारा पंजाबी, डोगरा, हरियाणवी और हिमाचली दुनिया भर में लेकिन उत्तरी भारत में तीव्रता सबसे अच्छी दिखाई देती है |
प्रकार | धार्मिक, सांस्कृतिक, मौसमीय |
महत्व | मध्य शीतकालीन त्योहार, शीतांश का उत्सव |
उत्सव | बोनफायर, गाना (भांगड़ा और गिद्धा) |
आवृत्ति | साल में एक बार |
से संबंधित | दुल्ला भट्टी |
तिथि | 14 जनवरी, 2024 |
लोहड़ी का मतलब क्या है?
लोहड़ी क्या होता है? लोहड़ी शब्द ल+ओह+ड़ी से मिलकर बना है जिसें ल से आशय है लकड़ी, ओह से गोहा (सूखे उपले), ड़ी से आशय है रेवड़ी। लोहड़ी त्यौहार लकड़ी, सूखे उपले और रेवड़ी का त्यौहार है।
लोहड़ी के दिन मोहल्ले भर से लकड़ियां और सूखे उपले इकट्ठे किये जाते हैं और एक जगह एकत्रित कर जलाया जाता है। उस आग के आसपास सभी मोहल्ले के लोग घूमते है और युवक-युवतियां नृत्य भी करते हैं।
लोहड़ी को कब मनाया जाता है?
हर वर्ष लोहड़ी को 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में भी लोहड़ी को 14 जनवरी दिन रविवार को मनाया जाएगा। यह त्यौहार मुख्य रूप से पंजाबियों का है और पंजाब में इसे बहुत ही जश्न के साथ मनाया जाता है।
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लोहड़ी क्यों मनाया जाता है?
लोहड़ी का पर्व क्यूँ मनाया जाता है के पीछे का कारण काफी रोचक है। एक पुरातन कथा के अनुसार माना जाता है दक्ष प्रजापति ने अपने यहां एक बहुत बड़ा यज्ञ रखा हुआ था जिसमें दक्ष प्रजापति ने शंकर जी को आमंत्रित नहीं किया था क्योंकि दक्ष प्रजापति शंकर जी से नफरत करते थे।
इस अपमान को माता सती नही झेल पाई और यज्ञ की हवन में अपनी आहुति दे दी तब से माता सती की याद में हर वर्ष लोहड़ी मनाई जाती है। इसलिए लोहड़ी के पर्व में आग का काफी ज्यादा महत्व रहा है।
लोहड़ी पर्व को भारत में कहाँ कहाँ पर मनाया जाता है?
वैंसे तो लोहड़ी का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में ही मनाया जाता है। लेकिन इसे मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, बंगाल और उड़िसा में भी मनाया जाता है।
पंजाब में ये त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, पंजाबी लोग लोहड़ी के दिन आग के चारो ओर घूम घूम कर भंगड़ा करते हैं।
क्या लोहड़ी को दुसरे देशों में भी मनाया जाता है?
जी हाँ। आपको ये सुनकर ताज्जुब हो सकता है की, लोहड़ी त्यौहार को भारत के अलावा भी अमेरिका, स्विट्जरलैंड और कनाडा जैंसे देशों में भी मनाया जाता है।
लोहड़ी पर्व कैसे मनाया जाता है?
लोहड़ी के दिन सभी रात्रि में एकत्रित होकर किसी खाली जगह में उपले और लकड़ियों को इकट्ठे कर आग लगते हैं, युवक युवतियां, बच्चे सभी गाने गाते हैं और उस आग के चारों तरफ घूम घूम कर भांगड़ा करते हैं और जश्न मनाते है।
अंतिम में लोग उस आग में से अंगारे अपने घर प्रसाद के तौर पर ले जाते हैं। लोहड़ी की आग शुभ मानी जाती है। लोहड़ी की रात शीतकाल की सबसे लंबी रात मानी जाती है और लोहड़ी मकर संक्रांति के पहले आती है।
लोहड़ी के दिन नवविवाहित जोड़ों के सुखद दाम्पत्य की कामना की जाती है और नवजात शिशु के अच्छे भविष्य की प्रार्थना की जाती है। लोहड़ी त्यौहार ख़ुशीहाली भरा त्यौहार हैं, एकता का प्रतीक है, जश्न का प्रतीक है। इस दिन सभी एकत्रित होकर जश्न मनाते हैं, भांगड़ा करते हैं, गीत गाते हैं और रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि खाते हैं। पहले के मुकाबले लोहड़ी अब काफी अच्छे तरीके से मनाया जाने लगा है।
लोहड़ी बंपर पंजाब 2024
लोहड़ी के अवसर पर लोहड़ी बंपर पंजाब 2024 काफी ज्यादा लोकप्रिय है पंजाबियों के बीच। क्यूंकि ये बम्पर lottery में लोगों को ढेरों चीज़ें जितने का अवसर प्राप्त होता है।
वहीँ इसमें कुछ पैसों से वो टिकट खरीद लेते हैं वहीँ अपना तक़दीर check करते हैं इस lottery में। अगर भाग्य ने साथ दिया तब उन्हें आसानी से बहुत से prizes भी जितने को मिल जाता है।
लोहड़ी पर्व में क्या करते हैं?
लोहड़ी पंजाब का प्रसिद्ध त्यौहार है, पंजाब में लोग लोहड़ी के दिन अपने मोहल्ले में घूम घूम कर घरों से उपले (गोबर के कंडे) और लकड़ियां इकट्ठे करते हैं और उन्हें किसी खाली स्थान में जमाते हैं।
रात्रि में मोहल्ले के सारे लोग इकठ्ठे होकर उसमे आग लगाकर उसमें रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि की आहुति देते हैं। आहुति देने के बाद रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि को प्रसाद के तौर पर ग्रहण भी किया जाता है।
जिन घरों में नवविवाहित जोड़ा हो या नवजात बच्चा हो उन घरों से रेवड़ी, मूंगफली, लावा, लकड़ी आदि के लिए चंदा भी इकट्ठा किया जाता है। पंजाब और हरियाणा में नवविवाहित और नवजात बच्चे की पहली लोहड़ी काफी ज्यादा शुभ मानी जाती है और काफी जश्न के साथ मनाई जाती है।
सभी लोग लोहड़ी के दिन मिल जुलकर नाच गाना करते हैं रेवड़ी, मूंगफली आदि खाते हैं। लोहड़ी के दिन नावविवाहित युवती को उसके घर से ‘त्यौहार‘ भेजा जाता है, यहां ‘त्योहार’ से मतलब रेवड़ी, फल, मिठाई, कपड़ों आदि से है।
लोहड़ी के दिन आग जलाने का महत्व (importance of lighting fire on the day of Lohri)
लोहड़ी का पर्व होली के जैसा ही मनाया जाता है। इस दिन रात्रि में एक स्थान पर आग जलाई जाती है और आसपस सभी लोग इस आग के इर्द-गिर्द एकत्रित होते हैं। पश्चात सभी मिलकर अग्निदेव को तिल , गुड़ आदि से बनी मिठाइयां चढ़ाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। सभी लोग अग्निदेव की परिक्रमा करते हैं और सुख-शांति व सौभाग्य की कामना भी करते हैं। अग्नि में नई फसलों को समर्पित किया जाता है और ईश्वर को धन्यवाद करते हैं। साथ ही भविष्य में उत्तम फसल के लिए प्रार्थना भी करते हैं।
लोहड़ी में किसकी पूजा की जाती है ?
लोहड़ी में लोहड़ी माता ,भगवान श्रीकृष्ण, मां आदिशक्ति और अग्निदेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग? (Why do we burn fire on Lohri?)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी की आग की परंपरा माता सती से जुड़ी हुई है। जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था। तब उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया था, लेकिन भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नही किया था। फिर भी माता सती और शिव जी महायज्ञ में पहुंचे, लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत निंदा की। इससे आहत होकर माता सती ने अग्नि में अपनी देह त्याग दी थी। ऐसा कहा जाता है कि मां सती के त्याग को समर्पित है।
लोहड़ी माता की कथा – उत्पत्ति कैसे हुई?
- माना जाता है कि लोहड़ी की आग दक्ष प्रजापति की पुत्री माता सती की याद में जलाई जाती है। दक्ष प्रजापति की पुत्री माता सती कोई और नहीं बल्कि शंकर जी की अर्धांगिनी मां पार्वती थी।
- माना जाता है दक्ष प्रजापति ने अपने यहां एक बहुत बड़ा यज्ञ रखा हुआ था जिसमें दक्ष प्रजापति ने शंकर जी को आमंत्रित नहीं किया था क्योंकि दक्ष प्रजापति शंकर जी से नफरत करते थे। इस अपमान को माता सती नही झेल पाई और यज्ञ की हवन में अपनी आहुति दे दी तब से माता सती की याद में हर वर्ष लोहड़ी मनाई जाती है।
- लोहड़ी है वर्ष जनवरी माह में मनाई जाती है। लोहड़ी हर वर्ष मकर संक्रांति के पहले मनाई जाती है।
- एक और मान्यता के अनुसार लोहड़ी को दुल्ला भट्टी से जोड़ा जाता है। लोहड़ी के दिन जितने भी गीत गाये जाते हैं सभी मे दुल्ला भट्टी का उल्लेख जरूर मिलेगा।
- दुल्ला भट्टी मुगल शाषक अकबर के समय का विद्रोही था जो कि पंजाब में रहता था। दुल्ला भट्टी के पुरखे भट्टी राजपूत कहलाते थे। उस समय लड़कियों को गुलामी के लिए अमीर लोगों के बीच बेचा जाता था. दुल्ला भट्टी ने न केवल उन लड़कियों को बचाया बल्कि उनकी शादी भी कराया। दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत इस काम मे रोक भी लगाई और दुल्ला भट्टी गरीब लड़कियों की शादी अमीर लोगों को लूटकर कराता था।
- वहीँ एक और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी के दिन कंश ने श्रीकृष्ण जी को मारने के लिए लोहिता नाम की राक्षसी को गोकुल भेजा था जिसे श्रीकृष्ण जी ने खेल खेल में ही मार दिया था इसीलिये लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है।
नवविवाहित जोड़े के लिए लोहड़ी का विशेष महत्व
यह त्योहार नवविवाहित जोड़े और परिवार में जन्मे पहले बच्चे के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन नई दुल्हन को उसकी नई दुल्हन को उसकी ससुराल की तरफ से तोहफे दिए जाते हैं, तो वहीं नए शिशु को उपहार देकर परिवार में उसका स्वागत किया जाता है।
लोहड़ी का त्यौहार कब मनाया जाता है?
लोहड़ी का त्यौहार हर वर्ष पौष माह के आखिरी दिन, माघ माह से पहली रात को मकर संक्रांति के पहले मनाया जाता है। लोहड़ी हर वर्ष जनवरी माह में 12 या 13 तारीख को मनाया जाता है।
लोहड़ी का त्यौहार किस राज्य में सबसे धूमधाम से मनाया जाता है?
लोहड़ी का त्यौहार भारत के पंजाब में सबसे धूमधाम से मनाया जाता है।
लोहड़ी पर्व का मुख्य प्रसाद क्या है?
लोहड़ी पर्व का मुख्य प्रसाद है रेवड़ी, मूंगफली, लावा
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