अर्जुन ने दुर्योधन की पत्नी भानुमति से क्यों की शादी जाने पूरी कहानी
दुर्योधन की पत्नी ने अर्जुन से शादी की थी, यह एक ऐतिहासिक तथ्य नहीं है। यह एक पौराणिक कथा है जो महाभारत के कुछ संस्करणों में पाई जाती है।महाभारत की कथा में, दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमति था। वह काम्बोज के राजा चंद्रवर्मा की पुत्री थीं। भानुमति एक खूबसूरत और गुणवान महिला थीं। उन्होंने दुर्योधन से स्वयंवर में विवाह किया था।
भानुमति का स्वयंवर था और दुर्योधन को भानुमती एक नजर मे ही पसंद आ गई थी दुर्योधन भानुमती से विवाह करना चाहता था लेकिन जब भानुमती ने दुर्योधन के गले मे माला नहीं डाली और और आगे बढ़ गई तो दुर्योधन ने कर्ण की मदद से भानुमति का अपहरण कर लिया था। भानुमति को हस्तिनापुर ले जाया गया, और दुर्योधन ने भानुमती से शादी कर ली शादी के बाद भानुमति और दुर्योधन के दो बच्चे हुए थे एक पुत्र, लक्ष्मण, और एक पुत्री, लक्ष्मणा। लक्ष्मण को महाभारत के युद्ध में अभिमन्यु ने मार दिया था, और लक्ष्मणा का विवाह कृष्ण के पुत्र साम्ब से हुआ था।
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अर्जुन ने दुर्योधन की पत्नी भानुमति से क्यों की शादी
- अर्जुन और भानुमति की पहली मुलाकात तब हुई जब अर्जुन ने दुर्योधन के स्वयंवर में भाग लिया था। भानुमति अर्जुन को देखकर पहली नजर में ही प्यार कर बैठी थी। लेकिन अर्जुन ने उसके स्वयंवर में भाग नहीं लिया था
- महाभारत युद्ध के दौरान, दुर्योधन अर्जुन के हाथों मारा गया। भानुमति, जो दुर्योधन की पत्नी थी, अब एक विधवा थी। वह एक नई जिंदगी शुरू करना चाहती थी, और उसने अर्जुन से शादी करने का फैसला किया।
- अर्जुन और भानुमति की शादी एक राजनीतिक समझौता थी। क्योकि भानुमती चाहती थी कि उनके कुल मे आगे शांति बनी रहे और आगे कोई लडाई ना हो
- इसके अलावा भानुमति ने इस शादी को एक अवसर के रूप में देखा। वह अर्जुन के साथ शादी करके अपने परिवार का सम्मान वापस पाने की कोशिश कर रही थी। अर्जुन ने भी यह शादी करके दुर्योधन के परिवार के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश की।
- इस प्रकार अर्जुन ने भानुमति की इच्छा का सम्मान किया और अर्जुन ने भानुमती से शादी कर ली और भानुमती को अपनी 8वी पत्नी के रूप मे स्वीकार कर लिया, यह शादी एक शांतिपूर्ण समारोह में हुई थी, और दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया।
- इस प्रकार यह कहाबत – कही की ईट कही का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा यह कहावत दुर्योधन की पत्नी भानुमती से जुड़ी है क्योकि भानुमती ने कुनबे को जोड़ने के लिए ये रिस्ता जोड़ा था.
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- हालांकि, कुछ विद्वानों का मानना है कि यह कथा ऐतिहासिक रूप से विश्वसनीय नहीं है। उनका तर्क है कि यह कथा महाभारत के बाद की अवधि में बनाई गई थी, और यह दुर्योधन और अर्जुन के बीच शत्रुता को कम करने के लिए एक प्रयास थी।
- इस कथा के समर्थकों का तर्क है कि यह ऐतिहासिक रूप से विश्वसनीय है। उनका तर्क है कि यह कथा महाभारत के कई संस्करणों में पाई जाती है, और यह दुर्योधन और अर्जुन के बीच शांति की एक प्रतीक है।
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