देवशयनी एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद हाथ में अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और चारों तरफ गंगाजल से छिडकाव करे ,
फिर षोडषोपचार विधि से भगवान विष्णु की पूजा करें।
भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय है इसलिए भगवान को पीले फूल, पीले फल आदि अर्पित करें।
इसके बाद धूप दीप जलाएं और कथा का वाचन करें। पूजन के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती उतारें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें
भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद पीपल व केले के वृक्ष की पूजा करें।
देवशयनी एकादशी को सायंकाल के समय में भी पूजा की जाती है।
साम कों पूजा करने बाद शयन मंत्र का जप करते हुए सजी हुई शय्यापर शयन करवाएं।
भगवान का सोना रात्रि के समय, करवट बदलना संधिकाल में और जागना दिन में होता है।
शयन मंत्र
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