who is god vishnu भगवान विष्णु कौन है,और भगवान विष्णु के कितने अवतार है और उनके अवतारों की कथा,

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भगवान विष्णु कौन है who is god vishnu,

भगवान विष्णु हिन्दू धर्म में महाविष्णु के रूप में पूजे जाने वाले एक प्रमुख देवता हैं। वह त्रिमूर्ति में से एक हैं, जिनमें श्री ब्रह्मा और शिव भी शामिल हैं। विष्णु को सर्वोत्तम पुरुष या परमात्मा के रूप में जाना जाता हैं और उन्हें सृष्टि के पालन का जिम्मा होता हैं।

विष्णु को चार हाथ और विषयों की वाहन गरुड़ (एक गर्दभ, अर्द्ध मनुष्य और अर्ध पक्षी) से चित्रित किया जाता हैं। उनका धारण किया गया प्रमुख प्रतीक सांख, चक्र, गदा और पद्म हैं।

विष्णु के अनेक अवतार हैं, जिनमें राम, कृष्ण, वामन, परशुराम, नरसिंह आदि प्रमुख हैं। इन अवतारों के माध्यम से विष्णु धरती पर आते हैं और धर्म स्थापना करते हैं।

भगवान विष्णु के चार प्रमुख श्रीवत्स चिह्न, कौस्तुभ मणि, पीताम्बर और मुकुट होते हैं। उनके भगवत भक्तों के द्वारा उन्हें विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र और विष्णु सहस्त्रानामावली का पाठ किया जाता हैं।

यह हिन्दू धर्म का आदर्श और प्रमुख देवता होने के साथ-साथ विष्णु भगवान् को भक्ति, सात्विकता, धार्मिकता, न्याय और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में भी माना जाता हैं।

भगवान विष्णु के अवतारों की कथा

भगवान परशुराम अवतार कथा

भगवान परशुराम अवतार कथा हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है। परशुराम भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। उनकी कथा भगवान पुराणों और वेदों में वर्णित है। इसके अलावा महाभारत में भी उनका उल्लेख मिलता है।

कथानुसार, भगवान परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि ऋषि था और माता का नाम रेणुका थी। उनके पिता जमदग्नि ऋषि भगवान सूर्य के सबसे प्रिय पुत्र थे और वे एक महान ऋषि थे। परशुराम का जन्म चित्रकूट पहाड़ों में हुआ था।

एक बार जब जमदग्नि ऋषि गहन तपस्या में थे, तब राजा कर्तवीर्यार्जुन नामक एक क्षत्रिय राजा ने उनकी गाय को चोरी कर लिया। इसके बाद जब जमदग्नि ऋषि ने इसे जाना तो उन्होंने अपने पुत्र परशुराम से माँग की राजा कर्तवीर्यार्जुन का समुद्र में स्थानांतरण कर देने का। परशुराम ने अपने पिता की इच्छा पूरी की और राजा कर्तवीर्यार्जुन का वध कर दिया।

इसके बाद परशुराम ने अपने पिता से प्राप्त की गई शस्त्रों का उपयोग करके कई युद्धों में भगवान की सेवा की। परशुराम एक महान योद्धा थे और वे अन्य राजाओं के साथ दिन-रात में युद्ध करते रहते थे। उन्होंने कई युद्धों में असुरों और दुष्टों को परास्त किया और धर्म की रक्षा की।

परशुराम की एक विशेषता थी कि वे संसार में विद्यमान सभी क्षत्रियों का विनाश करने के लिए विपरीत प्रवृत्ति धारण करते थे। उन्होंने 21 पुत्रों का विनाश किया था, क्योंकि उन्हें विनाशवादी और अनैतिक कार्यों में लिप्त देखा गया था।

भगवान परशुराम की कथा में इतनी ही अहमियत है। उनके अवतार के माध्यम से भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना की, दुष्टों का नाश किया और सत्य की रक्षा की। इसलिए उन्हें हिंदू धर्म में एक महान योद्धा और मार्गदर्शक के रूप में पूजा जाता है।

भगवान श्री राम अवतार कथा

भगवान श्री राम कथा भारतीय पुराणों और एपिक महाभारत के महाकाव्य रामायण के माध्यम से प्रस्तुत की जाती है। रामायण में भगवान राम का जन्म, उनकी बचपन की कथाएं, उनका वनवास, सीता हरण, हनुमान और अन्य भक्तों के साथ उनकी मित्रता, लंका यात्रा, रावण वध, और उनकी वापसी आदि घटनाएं वर्णित हैं।

श्री राम का जन्म आयोध्या नगरी में कोसला राजा दशरथ और कौशल्या के घर में हुआ। उनके चार भाई थे – भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। श्री राम ने सीता माता से विवाह किया था। फिर, दशरथ राजा ने अपने पुत्र श्री राम को राज्य का उपदेश करने के लिए अयोध्या के राजगद्दी पर बैठाया था।

किंतु उनकी पत्रिका के वचनों पर कायर और अनुशासित मंत्री मंथरा के चलते राजा दशरथ ने अपने दिए हुए वचनों को तोड़ दिया और श्री राम को वनवास भेजने का निर्णय लिया। उनकी वनवास के समय उनकी पत्नी सीता जी और लक्ष्मण जी भी उनके साथ रहे। वनवास के दौरान रावण ने सीता जी को हरण कर लिया और श्री राम ने उन्हें वापस पाने के लिए लंका नगरी में युद्ध किया। इस युद्ध में हनुमान, सुग्रीव, जामवंत, अङ्गद, जटायु आदि महान वीर भी उनके साथ थे। भगवान श्री राम ने अपने धनुष धरकर लंका को जलाकर रावण का वध किया और सीता जी को वापस लाया।

श्री राम, सीता, और लक्ष्मण अपने वनवास के बाद अयोध्या लौटे, जहां उन्हें दशरथ राजा की मृत्यु की खबर मिली। उन्होंने दशरथ राजा की अंतिम संस्कार किए और फिर राज्य संभालकर धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाया। श्री राम और सीता जी ने अयोध्या में राज्य करते हुए समाज को न्यायपूर्वक शासन किया और सभी लोगों की कल्याण के लिए प्रयास किए।

भगवान श्री राम की कथा धार्मिक और नैतिक सिद्धांतों को संकल्पित करती है, जैसे कि पितृभक्ति, पत्नी-प्रेम, भ्रातृभाव, धर्मपरायणता आदि। यह कथा भक्ति, आदर्शता, और सहिष्णुता की प्रेरणा देती है और मानवीय मूल्यों को स्थापित करती है। श्री राम कथा विभिन्न संस्कृति और भाषाओं में भी प्रसिद्ध है और भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

भगवान कृष्ण अवतार कथा

भगवान कृष्ण भारतीय पौराणिक कथाओं और श्रीमद् भगवद् गीता में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। उनका अवतार महाभारत काल में हुआ था और उनकी जन्म कथा के अनुसार निम्नलिखित है:

भगवान कृष्ण का जन्म माथुरा नगरी में हुआ। उनके माता-पिता का नाम वसुदेव और देवकी थे। होते ही, उनके जन्म के समय कंस नामक राजा कृष्ण के पिता के भाई थे, ने उन्हें हत्या करने का निर्णय लिया था क्योंकि एक ऋषि ने उन्हें बताया था कि कंस की मृत्यु उनके हाथों से होगी। इसलिए, वसुदेव ने अपने दोनों बच्चों, कृष्ण और बलराम, को वृंदावन के नंद और यशोदा के पास ले जाने का फैसला किया। इसके बाद वसुदेव द्वारा व्यक्तिगत रूप से पाले जाने के लिए योगमाया ने एक विशेष क्रिया की और उन्हें माथुरा से नंदगांव ले गईं।

बचपन में, कृष्ण और बलराम ने वृंदावन में खेलने-खिलाने और गोपियों के साथ रासलीला करने का आनंद लिया। उनकी खुशियों को कंस द्वारा नष्ट करने की कोशिश की गई, जो उनके परिवार का शत्रु था। वे नंदगांव में रहते थे और अपने दोस्तों और गोपियों के साथ अनेक आश्चर्यमय लीलाओं को खेलते थे।

कृष्ण की बाल लीला के बाद, उन्होंने मथुरा के कंस के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उन्हें विजय प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने विविध गोपनीय और ज्ञानवत्‌ वचनों के माध्यम से मानवता को उन्नति प्रदान की। उन्होंने अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया, जो महाभारत युद्ध के समय आया था और उसे अपने धर्मयुद्ध में मार्गदर्शन किया। भगवान कृष्ण के अवतार के दौरान, उन्होंने भगवान विष्णु की पूजा को बढ़ावा दिया और भक्ति के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित किया।

उनके जीवन की अन्य महत्वपूर्ण कथाएं हैं, जैसे कीचक वध, पूतना वध, नरकासुर वध, गोवर्धन पूजा, कालिया नाग वध, द्रौपदी को चीर हरण, सुदामा के द्वारिका में भेंट, और बहुत से अन्य।

भगवान कृष्ण की जीवन कथा और उनके कर्मों का महत्वपूर्ण संदेश है कि मनुष्य धर्म के माध्यम से आध्यात्मिक एवं सामाजिक उन्नति प्राप्त कर सकता है और भगवान की प्रेम और भक्ति के माध्यम से आत्मा को दिव्यता की अनुभूति हो सकती है। उनकी जीवन कथा ने हमें ज्ञान, कर्म और भक्ति के महत्व को समझाया है और हमें धार्मिक जीवन की ओर प्रेरित किया है।

भगवान कल्कि अवतार कथा

भगवान कल्कि अवतार कथा वेदों और पुराणों में प्रमुखता से वर्णित है। भगवान कल्कि अवतार, हिंदू धर्म में आए १० अवतारों में से एक माना जाता है, जो की भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार है। भगवान कल्कि अवतार के आगमन का वर्णन प्राचीन ग्रंथों में मिलता है और इसका मुख्य उद्देश्य धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश का होता है।

कल्कि अवतार कथा के अनुसार, भगवान कल्कि अवतार अपना आविर्भाव कलियुग के अंत में करेंगे। कलियुग धर्म की क्षीणता, अधर्म की बढ़ती हुई प्रवृत्ति और मनुष्यों की भ्रष्टाचारी और अधार्मिक व्यवहार के कारण विनाश की ओर बढ़ रहा होता है। इस संदर्भ में भगवान विष्णु अपने कल्कि अवतार के रूप में पृथ्वी पर आत्मस्थापना करते हैं।

कल्कि अवतार के आगमन का वर्णन मुख्य रूप से “भविष्य पुराण” और “कलिका पुराण” में मिलता है। इन ग्रंथों के अनुसार, भगवान कल्कि अवतार गालव ऋषि के आश्रम में उत्पन्न होते हैं और एक ग्राम या नगर के प्रति अपराध के कारण अपने धर्मपत्नी के साथ यज्ञ भूमि के द्वारा उसे छोड़ देते हैं। वे फिर से अपने आश्रम में लौटते हैं और ध्यान में रहते हैं।

इसके बाद, कलियुग में भगवान कल्कि अवतार धर्म की स्थापना के लिए अपने गुरु के आदेश के अनुसार कार्य करते हैं। वे अधर्मियों, असुरों, दुष्टों और धर्म के विरोधी तत्वों के विनाश के लिए युद्ध करते हैं। भगवान कल्कि अवतार की गाड़ी में चक्र (शस्त्र) होता है, जिसे वे दुष्टों को नष्ट करने के लिए उपयोग करते हैं।

कल्कि अवतार का आगमन सामान्यतः कलियुग के अंत में होने का कहा जाता है और उसके बाद सत्ययुग की पुनरावृत्ति होती है। उनका आगमन धर्म की पुनर्स्थापना, न्याय का स्थापना और अधर्म के नाश के लिए होता है। भगवान कल्कि अवतार का उद्देश्य मनुष्यों को धर्मपरायण बनाना, अधर्म के विरोधी तत्वों का समाप्त करना और एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण और सुखी समाज स्थापित करना होता है।

यह था भगवान कल्कि अवतार की कथा का संक्षेपित वर्णन। यह कथा धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और इसका उद्देश्य मानव जीवन को सद्धारित करना और सुख-शांति की प्राप्ति करना है।

नोट:-

उम्मीद है आपको भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में ये जानकारी अच्छी लगी होगी, ये पोस्ट का भाग -2 था …बाकि के अवतारों की जानकारी भाग :-1 में दी गयी है आप उसे जरुरू पड़े जिसकी लिंक आपको नीचे दी गयी है,  …..अगर आपको हमारे दुबरा दी गयी जानकारी अच्छी लगी हो तो अभी हमारे whatsapp ग्रुप को ज्वाइन करे ….thank you

भगवान विष्णु के दस अवतार और उनके अवतारों की कथा

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