भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय बेल पत्र है जिसे संस्कृत में बिल्वपत्र भी कहा जाता है.
भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करने से उन्हें शीतलता प्राप्त होती है.
मान्यता है कि बेल पत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है.
पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं.
बेल पत्र को लेकर शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि यदि नया बेल पत्र न मिले,
तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेल पत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है
भगवान शिव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए. बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए.
बेल पत्र में वज्र और चक्र नहीं होना चाहिए.
बेल पत्र 3 से लेकर 11 पत्ती वाले होते हैं. इसमें जितने अधिक पत्र होते हैं भगवान शिव को अर्पित करने का उतना ही अधिक लाभ प्राप्त होता है
यदि बेलपत्र ना मिल पाएं को बेल के वृक्ष के दर्शन करना ही पाप-ताप को नष्ट कर देता है.
शिवलिंग पर चढ़ाए दूसरे के बेल पत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए